सीना ताने एक तिरंगा अजर अमर अविनाशी है, "Shayari"Desh bhakti shayari in hindi, देश भक्ति शायरी,Happy independence,15 August,

आपका दिन शुभ हो।
Desh Bhakti Shayari,: 🙏 नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका हमारे Shayarisksid00 पेज पर। दोस्तों आज हम आपके लिए ले कर आए है। देश भक्ति हिंदी कविता, ,Desh bhakti shayri जैसे की हम सब जानते हैं कि हिंदी देश भक्ति शायरी का हमारे जीवन में कितना महत्व है। और अगर कविता की बात करें तो उसमे Desh bhakti poem in hindi की बात नही हो तो कविता अधूरी सी लगती है क्यूंकि देश भक्ति पर बहुत ही कविता लिखी गई है और बहुत कविता आगे भी लिखी जाएगी तो हम Desh bhakti shayari को तो भूल ही नहीं सकते आपने जीवन में ऐसे देश भक्ति पर कविता जिसमे हमारे देश के जवानों के बलिदान के बारे में लिखा होता है desh bhakti के बारे में लिखा होता है desh bhakti shayari वीर रस की देश भक्ति पर कविता होती हैं जो कविता सुन के हमारा खून खोल उठता हैं। हमारे जवानों ने जो कुरबानी दी है हमारे देश के लिए उसको याद करते है। ऐसे ही Desh bhakti shayari, देश भक्ति पर कविता हम आपके लिए ले कर आए है आशा करते है आपको पसंद आयेगी और आपका प्यार,आशीर्वाद हम ऐसे ही मिलता रहें।
|| जय जवान जय किसान, जय हिंद ||




देशभक्ति पर शायरी ||Desh bhakti shayari 


Poetry on patriotism 




  • सीना ताने एक तिरंगा अजर अमर अविनाशी है,
 आजादी के इस शुभ दिन पर देखन को आंखें प्यासी है।


सीना ताने एक तिरंगा अजर अमर अविनाशी है,
 आजादी के इस शुभ दिन पर देखन को आंखें प्यासी है।
 कहीं राग रंग कहीं वेशभूषा, कहीं गाथा वीर शहीदों की।
 यहां राम रमे हर रोम रोम में ऐसे भारतवासी हैं।


  •   सिंच के अपने लहू से तुझको कर्ज चुकाना चाहता हूं'
 कट जाए सर परवाह नहीं दुश्मन को झुकाना चाहता हूं।

सिंच के अपने लहू से तुझको कर्ज चुकाना चाहता हूं'
 कट जाए सर परवाह नहीं दुश्मन को झुकाना चाहता हूं।
 यह भारत नहीं महान भारत है मैं सबको दिखाना चाहता हूं।



  •  मिट्टी का कोई मोल नहीं अनमोल तेरी जलधारा हैं।
मिट्टी का कोई मोल नहीं अनमोल तेरी जलधारा हैं।
जहां भगत सिंह जैसे बलिदान हुए।
वह भारत देश हमारा हैं।




  •  कहीं चांदी है कहीं सोना है,
 कहीं तीर तलवार खिलौना है,
 कहीं सोए मखमल गद्दे पर,
 कहीं मखमल रेत बिछौना है,
 कहीं खाकर गोली सोए सैनिक,
 कहीं मां बहनों का रोना है।

मैं करता हूं बलिदान की बातें क्यों व्यर्थ बताते हो
उनको।
  वो माने जब हमको अपना
 फिर हमें अलग क्यों होना है।


By. Arjun Khichar 
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